बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 28
सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
(Organs of Government : Executive, Legislature and Judiciary)
कार्यपालिका - कार्यपालिका सरकार का द्वितीय महत्वपूर्ण अंग है। यह व्यवस्थापिका द्वारा बनाये गये कानूनों को लागू करती है। गिलक्राइस्ट के शब्दों में "कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून के रूप में अभिव्यक्त जनता की इच्छा को कार्यरूप में परिणत करता है। यह वह धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का वास्तविक प्रशासनिक यन्त्र घूमता है।'
कार्यपालिका को संकुचित और व्यापक दोनों अर्थों में परिभाषित किया जाता है। संकुचित अर्थ में, कार्यपालिका के अन्तर्गत सरकार के प्रधान और इसके मुख्य सहयोगी आते हैं। पर व्यापक अर्थ में कार्यपालिका के अन्तर्गत वे सभी कार्यकर्ता तथा संस्थाओं के समूह आ जाते हैं जो राज्य की इस इच्छा को क्रियान्वित करते हैं जिसे कानून के रूप में निर्धारित करके व्यक्त किया गया हो। इस प्रकार व्यापक अर्थ में कार्यपालिका का निर्माण निम्नांकित व्यक्ति व संस्थायें करते हैं -
(अ) राज्य और कार्यपालिका प्रधान
(ब) प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
(स) प्रशासकीय अधिकारी
न्यायपालिका - सरकार का तीसरा प्रमुख अंग न्यायपालिका या न्याय विभाग होता है। वर्तमान युग में 'विधि के शासन' का सिद्धान्त सर्वमान्य है जिसका तात्पर्य है कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान हैं तथा कोई भी विधि के ऊपर नहीं है। न्यायपालिका व्यवस्थापिकां द्वारा पारित कानूनों व न्याय व्यवस्था के अनुसार अपराधियों को दण्डित करती है एवं आवश्यकतानुसार कानूनों की व्याख्या भी करती है।
विधायिका - राज्य विधान सभा तथा विधान परिषद् का मुख्य कार्य विधायी है। जिस पर संविधान के अनुच्छेद 107 के अन्तर्गत संसद की विधि बनाने की प्रक्रिया है उसी प्रकार राज्यों में भी विधि बनाने की प्रक्रिया है। धन तथा वित्त विधेयक के अतिरिक्त कोई भी साधारण विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है और संसद की ही भांति दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा। परन्तु धन विधेयक राज्य की विधान सभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। धन विधेयक के संबंध राज्य सभा की ही भांति विधान परिषद् को भी कोई विशेष अधिकार नहीं है और वह धन विधेयक को ज्यादा से ज्यादा 14 दिनों तक रोक सकती है। उसके बाद उसे धन विधेयक को विधान सभा को लौटाना आवश्यक होगा। जब कोई विधेयक राज्य के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है तब उसे अनुमति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है। राज्यपाल ऐसे विधेयक को अपनी अनुमति दे सकता है या अपनी स्वीकृति रोक सकता है या विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए भेज सकता है। राज्यपाल पुनर्विचार के लिए ऐसे विधेयक का वापस भी लौटा सकता है।
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- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
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- अध्याय - 11 दण्ड
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- अध्याय - 13 समानता
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